समाधि भावना-SAMADHI BHAVNA

Samadhi Bhawna

  समाधि भावना   दिन रात मेरे स्वामी, मैं भावना ये भाऊँ । देहान्त के समय में, तुमको न भूल जाऊँ ।। शत्रु अगर कोई हो, सन्तुष्ट उनको कर दूँ। समता का भाव धरकर, सबसे क्षमा कराऊँ ।। त्यागूँ अहार पानी, औषध विचार अवसर ।  टूटे नियम न कोई, दृढ़ता हृदय में लाऊँ ।।  जागें … Read more

निरखो अंग-अंग जिनवर के | Nirkho ang-ang jinvar ke

| 1. Bhakti   निरखो अंग-अंग जिनवर के | Nirkho ang-ang jinvar ke   निरखो अंग-अंग जिनवर के   निरखो अंग-अंग जिनवर के, जिनसे झलके शान्ति अपार ।।टेक।। चरण-कमल जिनवर कहें, घूमा सब संसार । पर क्षणभंगुर जगत में, निज आत्मतत्त्व ही सार ।। यातें पद्मासन विराजे जिनवर, झलके शान्ति अपार ।।(1)   हस्त-युगल जिनवर … Read more

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